कुछ दिन पहले कई देशों की यात्रा के बाद मेरे एक परिचित अपने परिवार के साथ सिंगापुर से लौटे। विदेश से लौट कर वहाँ की सड़कों की सफाई और उन सड़कों पर चलने के लिए बने नियमों को लोगों द्वारा मानने को ले कर खूब तरीफें की। उनका कहना था अरे अपने यहाँ तो बड़ी गंदगी है और बड़े जाहिल लोग रहते हैं, सड़कों पर चलते हुए थूक देते है, लेकिन सिंगापुर में तो थूकने पर जुर्माना हो जाता है। पहले दिन ही मैंने एक जगह सड़क पर रद्दी कागज के टुकड़े फेक दिये थे और मुझे भी कई डालर का जुर्माना देना पड़ा। एक बार जुर्माना देने के बाद फिर 15 दिन रहते हुए मैंने दुबारा ऐसी गलती नहीं की। जिस समय वह ऐसी बातें बता रहे थे उसी समय उनकी पत्नी ने आइस क्रीम खा कर बचे हुए रैपर को सड़क पर फेंक दिया। जब कि, वह भी सिंगापुर की बातें और वहाँ की सफाई की तारीफ़ें कर रहीं थीं। फिर भी, सड़क पर चलते और गंदगी करते हुए उन्होने एक बार भी नहीं सोचा कि सड़क पर गंदगी तो लोग ही करते हैं। अगर लोग अपने कर्तव्य को सही तरह से निभाएँ, तो कई ऐसी समस्याओं से निजात मिल सकती है, जो लोगों द्वारा ही बनाई गई हैं। इस वाकिए ने आज 15 अगस्त के दिन सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि हम लोगों को किन चीजों या बातों की आजादी चाहिए?
कुछ भी बोलो, कहीं पर भी बोलो या किसी के बारे में बोलो, यानी बोलने की आजादी। कहीं पर भी कूड़ा फेकने या थूकने की आजादी। सड़कों पर फर्राटा भरने की आजादी, उल्टी तरफ से चलने की आजादी, ट्रैफिक सिग्नल को न मानने की आजादी, चौराहों पर सबसे आगे खड़े होने की आजादी चाहे पैदल चलने वालों को कितनी भी परेशानी हो, हॉर्न बजाने की आजादी चाहे कितना भी ट्राफिक हो या आगे निकलने के लिए जगह न हो। सार्वजनिक सम्पत्तियों व स्थानों को नुकसान पहुंचाने की आजादी, सार्वजनिक टाइलेट हों या राष्ट्रीय धरोहर वाली इमारतों की दीवालों पर भद्दे कमेन्ट लिखने की आजादी। कैसी और कितनी आजादी चाहिए लोगों को?
चूंकि आज 15 अगस्त है और राष्ट्रीय पर्व मनाने के साथ साथ हर तरफ आजादी के तराने गाये जा रहे हैं। इस दिन आत्म चिंतन कर, आजादी की सीमाओं का विश्लेषण करने की भी जरूरत है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम लोगों ने अपने के अलावा दूसरों की दिक्कतों या तकलीफों के बारे में सोचना बंद कर दिया हो। मेरी छोटी सी आजादी दूसरों के लिए मुसीबत तो नहीं बन रही। क्या ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा को हम भूलते जा रहे है? आज हम नहीं सोचोंगे और सभ्य समाज की नींव रख अच्छा वातावरण नहीं बनाएँगे तब यह काम कौन करेगा? यह तो हमारे ऊपर ही है न कि हम कैसे वातावरण में रहना चाहते हैं?
15 अगस्त के इस शुभ अवसर अच्छे वातावरण को बनाने के लिए पर जरा सोचिए! अपनी आजादी की सीमा वहीं तक है जहां से दूसरे की शुरू होती है।
जय हिन्द! सभी को 15 स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने। सरकार को कोसते-२ हम अपनी खुद की नैतिक जिम्मेदारी भूल गए हैं। विदेशों में लोग इसलिए सफाई नहीं रखते क्योंकि उनके नियम सख़्त हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि उनके लिए सफाई, नियम पालन अपने नैतिक उत्तरदायित्व हैं। भारत में नियम उल्लंघन एक शान का प्रतीक बन चुका है। आशा है आने वाले समय में हम इस ढोंग से ऊपर उठ के ईमानदारी से राष्ट्र हित में योगदान देंगे। जय हिन्द।
सही कहा, नैतिक उत्तरदायित्व निभाने की ज़िम्मेदारी सबकी है।
जय हिन्द, धन्यवाद।
अत्यंत उत्तम लेख 🙏
बस इसमें इतना ही कहना चाहता हूँ कि हमारे देश की समस्त समस्याओं के मूल में (जड़ में) सिर्फ एक ही समस्या है – और वो है “जनसंख्या विस्फोट” ।
जब तक जनसंख्या नियंत्रण हेतु कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, अनेकोनेक समस्याएं जन्म लेती रहेंगी ।
धन्यवाद
🙏👍
🙏 बहुत खूब अपने ही देश का अपमान करते समय ये ध्यान ही नहीं रहता कि घूम फिर के ये सब अपने ही ऊपर आयेगा।ये वे लोग है जिन्हे अपने देश के बारे में कुछ बेसिक बाते ही नहीं पता।ये सब को पता है कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंडा फहराते है,,लेकिन दोनो में दो बड़े फर्क है।वो कुछ ही लोगो को पता है ,पहली ये कि 15 अगस्त क1947 को चुंकि देश स्वतन्त्र हुआ था इसलिये इस दिन झंडे को नीचे से ऊपर की ओर ले जाते है,और इसे ध्वजारोहण कहते है ब्रिटिश सरकार के ध्वजा को नीचे उतारकर भारतवर्ष के झंडे को ऊपर उठाया गया था।और 26 जनवरी चुंकि संविधान बनने की खुशी में मनाया जाता है इसलिये ऊपर लहराते झंडे में पुष्प बांध के उसे फहराया जाता है जिसेflag unferling या झंडा फहराना कहते है दूसरा फर्क ये है कि चुंकि 15 अगस्त को अभी देश आजाद हुआ था,उस समय राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर प्रधानमंत्री थे इसलिये ध्वजारोहण हमारे देश के प्रधानमंत्री ही करते है जबकि संविधान बनने के साथ ही राष्ट्रपति का निर्वाचन हुआ अतएव 26 जनवरी को ध्वजारोहण की जिम्मेदारी देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति की होती है।ये दो बड़ी बाते भारतवर्ष के नागरिक होने के नाते हमें अवश्य पता होनी चाहिये🙏
इस आवश्यक जानकारी के लिए धन्यवाद।
Very true …… this happens 24×7 all across India ….