हिचक और लिहाज

हिचक से लोग अपनी बातों को सही समय पर कह नहीं पाते और समय निकाल जाने पर पछतावा करते हैं। वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि लिहाज के कारण लोग विरोध नहीं कर पाते और जिनका लिहाज किया जाता है वह लोग समझते है कि या तो लोग उनसे डरते है या फिर वो जो कह रहे है वह ही सही है। यहाँ पर यह समझना होगा कि लिहाज क्यों किया जाता है? यह इसलिए किया जाता है कि सभ्य समाज की नींव हर एक के सम्मान से जुड़ी होती है और लिहाज का कारण एक तरीके से सामने वाले या बड़ों का सम्मान करना होता है। जबकि हिचक या संकोच में कहीं न कहीं एक डर छिपा होता है। हिचक या संकोच लोगों में आ कैसे जाता है इसका विश्लेषण यदि किया जाय तब शायद एक सबसे बड़ा कारण बचपन की परवरिश  से जोड़ा जा सकता है। बच्चे को अगर बात बात पर टोका जाय और कहा जाय कि अरे कैसे बोलते हो? कैसे चलते हो? कैसे बैठते हो?, कैसे खाते हो? बच्चे तो कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं ज्यादा टोकने पर उनको लगने लगता है कि अरे  मेरे से कहीं कुछ गलत न हो जाय और कोई टोक देगा। इस टोकने के डर से बचने के लिए बच्चे चुप रहना शुरू कर देते हैं और अपनी ज्यादा बातें साझा नहीं करते और संकोची हो जाते हैं, कुछ भी कहने में हिचकने लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग बच्चों को किसी भी बात पर नहीं टोकते फिर चाहे बच्चे ने कितनी भी गलती कर दी हो। ऐसे बच्चे उद्दंड और निर्भीक जरूर हो जाते हैं लेकिन आगे चल कर समाज में कई तरह की विसंगतियाँ पैदा करते हैं, उनको लगता है कि वह जो भी कर रहे है वह ही सही है। ऐसे बच्चो में धीरे धीरे दूसरों के प्रति लिहाज समाप्त हो जाता है। सोचिए, समाज से यदि लिहाज और सम्मान समाप्त हो जाय तब कल्पना कीजिये किस तरह का समाज बन जाएगा जिसमें कोई भी किसी की बात नहीं मानेगा और  सभ्यता की  जगह अराजकता का बोलबाला होगा। अतः बच्चो की अच्छी परवरिश का मतलब केवल पैसा या सहूलियतें देना भर ही नहीं है बल्कि सभ्य समाज को बनाने के लिए अच्छे और बुरे में अंतर बताना जरूरी है।

This Post Has 15 Comments

  1. Binita Rudra

    सर्वथा सत्य है,पर अब समय , इन मनोवैञानिक तत्थ्यों को पढ़कर चुप चाप बैठने का नहींअपितु अमल करने का है। ये सब बाते असल में हम सब जानते है,,लेकिन समय पर याद दिलाने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    1. लेख पर आपकी त्वरित टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आशा है आने वाले अगले लेखों में भी ऐसे ही उत्साह वर्धन करती रहेंगी।

  2. अनामिका सिंह चौहान

    बहुत से ऐसे मुद्दे है जिन पर हम बात करना चाहते हैं लेकिन एक हिचक एक संकोच हमें रोकता है शायद ये डर की लोग क्या कहेंगे, ये हिचक छोड़िये बेहिचक अपने विचार लोगों के सामने रखें क्या पता उस मे ही कोई हल मिल जाये या अपको देख कर और लोग भी सामने आये,इसलिए कह बेहिचक

  3. शौर्य

    बच्चो की परवरिश में संकोच और लिहाज़ का योगदान कितना महत्वपूर्ण है इस बात को लोगों के सामने रखने के लिए आपका धन्वाद।
    कहीं ना कहीं हम उस मोड़ पर आ खड़े हुए हैं जहां एक तरफ लिहाज़ का लोग फायदा उठाने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी समस्या है कि यदि कोई किसी बात से सहमत ना हो तो उसे लिहाज़ से जोड़ कर बे अदब बोल दिया जाता है। आशा है हम आने वाले समय में इन दोनों मुद्दों पर सामंजस्य बिठाने में सफल होंगे।

    1. धन्यवाद। लेखों और टिप्पणियों के माध्यम से एक सोच विकसित करने की कोशिश में आपका सहयोग महत्वपूर्ण है।

  4. Parth Chauhan

    लिहाज़ और सम्मान के बीच जो अंतर आपने दिखाया है इस लेख के माध्यम से, उसको समझना सबसे महत्त्वपूर्ण है, इसके लिए आपका धन्यवाद्। साथ ही में ये भी इंसानी फितरत होती है की समय के साथ, हर तरीके के रिश्तों से, ये अंतर शायद मिट से जाते हैं, जिससे अक्सर या तो फायदा होता जाता है संवाद में, या कभी कभी नुकसान भी हो सकता है कुछ गुंडों को लेकर। अब अगर ‘सम्मान’ जैसा धर्म या गुड़ हम सभी अच्छी तरह समझते हैं, तो ऐसे कौनसे अन्य धर्म इस बात से जुड़े हैं जिसपे हमें चर्चा करने की आव्यशकता है। इसी विचार से जोड़ कर, आशा करता हूँ की, आप के अगले लेखों में उम्र और अनुभव के इसी अन्तर पे बात हो। इस लेख के लिए बहुत सारा आभार और सुब्बेछाएं !

    1. धन्यवाद। आपके सुझाव महत्वपूर्ण हैं। कोशिश रहेगी अगले लेखों में आपकी शंकाओं के समाधान के लिए।

  5. GPS

    कुछ और लेख बच्चों की अच्छी परवरिश पर होने चाहिए।

  6. R M Tripathi

    Hesitation is a very common issue. Often we all hesitate to talk or ignore to speak about issues which in fact need our intervention.
    One may be hesitating out of fear or for avoiding the fact/situation.
    Sometimes hesitation is on purpose. Purpose can be avoiding a situation.

  7. Kajal Chauhan

    Apne aap par bharosha Kare or behichak apne sapno ko nyi disha de..
    Apka samman or lihaj ke bich ka antar bemisal hai👌

  8. Vivek

    Ek dusre ke Prati Samman hi hum ko ek dusre se jode Rakhta hai aur Bina lihaj ke Ham Ek acche Samaj ki Kalpana bhi nahin kar sakta

Leave a Reply