श्री कृष्ण का जन्म ही कष्टों से शुरू हुआ
जेल में जन्म और जन्म होते ही माता का छूट जाना ।
फिर जिसने पाला, जिसके साथ बचपन बीता वह भी छूट गए।
जिनके साथ बचपन बीता वह संगी-साथी भी छूटे।
बचपन में जिससे प्रेम किया वह राधा भी छूटी।
बचपन का घर गोकुल छोड़ा और जवानी का मथुरा।
श्री कृष्ण के जीवन में सब ऐसे ही मिलते रहे और बिछुड़ते रहे लेकिन उन्होंने अपनी सदा मोहने वाली मुस्कान कभी नहीं छोड़ी
और ना ही छोड़ा धर्म और कर्तव्य। यही है सकारत्मक जीवन जीने का सार।
-श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें