5 Tips to avoid Social Anxity and Shyness

सफलता में बाधक “समाज की चिंता और शर्म” से बचने के 5 सूत्र 

कहते हैं ‘सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग?’ बचपन में बच्चों को बात बात पर टोकना और समाज का डर दिखाने से कई बार बच्चे सही और गलत का फर्क करने के बजाय डरने से लगते हैं। जो बड़े हो कर सोशल फोबिया या सामाजिक चिंता के रूप में प्रकट होने लगता है। मैं कोशिश करता हूँ कि कुछ उपाय और युक्तियों को आपसे साझा करते हैं जिससे शर्म और  डर के इस फोबिया से बचा जा सके।

  1. अपने में आत्मविश्वास भरें : आत्मविश्वास क्रिया कलापों, लगातार अभ्यास, और सतत प्रयास से बढ़ता है। जब आप छोटे थे और लिखना नहीं जानते थे तब आपने और आपके गुरुओं ने आप से करवाया। आपसे से रोज एक ही तरह के शब्द लिखने के लिए दिये जाते थे और कई बार आप को खीज भी होती थी कि जैसा टीचर मैंम ने लिखा है वैसे मैं नहीं लिख पा रहा हूँ। लेकिन जैसे जैसे आप प्रयास करते है, आप लिखना सीख जाते हैं। प्रयास से आपका लिखने का आत्मविश्वास बढ़ जाता है और आप लिखने लग जाते हैं। अब आप उस दिन को सोचिए जब आप लिखना नहीं जानते थे और आप खीज होती थी, लेकिन प्रयास से आपने लिखना सीखा और यदि आपने प्रयास नहीं किया होता तब आप कैसे लिखना सीख पाते। सर्कस में पतली रस्सी पर चलती एक लड़की पहले दिन ही उस रस्सी पर चलना नहीं सीख जाती, अथक प्रयास से वह रस्सी पर  ऐसे ही चलती है जैसे कि मैदान में चल रही हो। आत्मविश्वास की कमी से लोग बोल नहीं पाते और समाज से कट से जाते हैं। अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक लोगों से मिलना चाहिए, बिना हिचक किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहिए यह बिना सोचे कि लोग क्या कहेंगे?
  2. जिज्ञासु बनें : स्कूल में क्लब, खेल की टीम हो या कला की टीम हो जो भी आपको अच्छा लगता हो जरूर हिस्सा लें बिना यह सोचे कि अरे मुझे तो खेलना आता ही नहीं या मैं नाटक में अभिनय नहीं कर पाया तो लोग हसेंगे। आप अपने को नई नई चुनौतियों के लिए तैयार रखें, नई नई चीजों को सीखने की कोशिश करें। अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की कोशिश करें। शर्म डर जिंदगी का एक ऐसा हिस्सा है जिससे आप का आत्मविश्वास विकसित नहीं हो पाता। असफलता, लोगों द्वारा अस्वीकार कर देना या अपमानित हो जाने का डर आपके आत्मविश्वास को बढ़ने नहीं देता। नई नई चीजों को करने और सतत अभ्यास से आपका डर चिंता कम होती है और आपका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।
  3. बातें करें : आपको जब भी मौका मिले बातें करनी चाहिए। आप इसके लिए शीशे के सामने छोटे छोटे भाषण और प्रस्तुतियाँ देने का अभ्यास करें। कोशिश करें कि आप हर मौके पर कुछ चुटकुले या मनोरंजक कहानियाँ बताने का भी अभ्यास कर सकतें हैं। आपको खुल कर बातें करने का अधिक से अधिक अभ्यास करना चाहिए जिससे आप अपने विचार लोगों के बीच खुल कर रख सकें। आप बिना हिचक के बातें करें, ज्यादा से ज्यादा क्या होगा सामने वाला आपकी बात नहीं सुनेगा या कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा। कोई बात नहीं आप ने अपनी बात तो कह दी न।
  4. निडर बनें : सामाजिक चिंता और शर्म में जज होने के डर का सबसे बड़ा योगदान होता है। इस डर को दूर करने का एकमात्र तरीका खुद को निडर और असुरक्षित बनाना है। इसका अभ्यास आप उन लोगों के साथ कर सकते हैं जो आपके सबसे पास में हो और जिन पर आप भरोसा कर सकतें हों। ऐसे लोग सबसे पहले परिवार में ही होते है जैसे भाई, बहन या माँ उनसे आप अपनी बातों को साझा करें। आप पाने पर गर्व करें और महसूस करें जो आप है वो हैं।  डर के समाज में रहेंगे तो समाज और डराएगा। एक और बात का ध्यान रखें कि किसी से बात करते समय अपनी आंखों का संपर्क जरूर बनाएं रखें। चलते समय अपने सिर को नीचे झुका कर न रखें।  अपनी बात प्रभावी ढंग से रखने का प्रयास करें।
  5. सावधान और होशियार रहें : अपने आप की और अपने आस-पास की दुनिया जैसी भी है की सराहना करना सीखें।  जैसे आप लोगों द्वारा जज करने से डरते थे वैसा ही आस पास की चीजों और लोगों को जज करना छोड़ दें लेकिन हाँ सावधान और होशियार जरूर रहें। आपको किसी से  भागना, बचना या बचाना नहीं है, जब आप समाज में पूरी तरह से हिल-मिल जाते हैं तब आप महसूस करेंगे कि समाज में ऐसा कुछ नहीं है जिससे आपको समाज से पूरी तरह से कटने की जरूरत हो। हाँ, सही और गलत का अंतर करना जरूरी है।

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