कोरोना के साथ विश्व संरक्षण एवं हेपेटाइटिस दिवस
महत्मा गांधी ने कहा था “Earth provides enough to satisfy every man’s needs, but not every man’s greed.”
बढ़ती जनसंख्या, बेलगाम औद्योगीकरण और प्राकृतिक संसाधनों के अधाधुन्ध दोहन ने भीषण पैमाने पर पर्यावरण एवं पृथ्वी की कई मयनों में अपूर्णीय क्षति हुई है। प्राकृतिक संसाधनों के समुचित प्रयोग एवं इनके संरक्षण के प्रति उदासीनता ने ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, बाढ़ और सूखे जैसे तरह तरह की प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया को घेर लिया है।
प्रकृति के बारे में जागरूकता बढ़ाने और पृथ्वी पर प्राकृतिक असंतुलन के कारण आने वाली आपदाओं से बचने के लिये, हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पेड़ों, पानी और अन्य संसाधनों को बचाना है।
हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) की खोज डॉ. बारूक ब्लमबर्ग ने की और इस वायरस से बचने एवं रोकथाम के लिये कई परीक्षणों के उपरांत एक टीके का विकास किया। इस उप्लब्धि के लिये ही 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप नोबेल-पुरस्कार विजेता एवं वैज्ञानिक डॉ. बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिन रूप में मनाया जाता है। यह डब्ल्यूएचओ द्वारा 2017 में प्रकाशित एवं हेपेटाइटिस पर नियंत्रण करने के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढाने के लिये दिये गये सुझावों को रखा गया।
2030 तक इस बीमारी को विश्व स्तर से हटाने के लिये परीक्षण एवं उपचार के महत्वपूर्ण अंतर को व्यापक स्तर पर कराने को कहा गया है। हेपेटाइटिस बी लीवर को कमजोर करता है जिसका शरीर की इम्यूनिटी प्रणाली पर असर पडता है, यह आज कोरोना के फैलाव को देखते हुये और महत्वपूर्ण हो जाता है कि हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिये लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाय।
अत: 28 July अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिये भी है, क्योंकि कोरोना के कारण विश्व में व्यापक रूप से लाक डाउन किया गया जिससे पर्यावरण में कई सुधार देखे गये।
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